Monday, June 6, 2016

सरकार को जीत के हैंगओवर से निकलने की जरूरत है...!


देश की मौजूदा स्थिति किसी से छिपी तो नहीं हैं लेकिन मौजूदा दौर में पैसे और सपने को पूरा करने की बेतहसा दौड़ के बीच लोग इन हालातों से या तो समझौता कर आगे बढ़ गए है या फिर उन्हें देश के हालात से ज्यादा उनके जेब में बढ़ता नोटों का दबाव मजा देने लगा है. जी,  ठीक –ठाक तरीकें से अगर आपको इस देश के हालात को समझना हो और ब्यूरोक्रेसी की मोटी चमड़ी से रूबरू होना हो तो आपको यूपी के बुंलदेलखंड, महाराष्ट्र के विदर्भ या लातूरया फिर छत्तीसगढ़ के बस्तर ,दंतेवाड़ा, जगदलपुर और झारखंड के लातेहार, सिंहभूम ,गढ़वा ,चतरा जाना पड़ेगा.ऐसा नहीं हैं कि देश में ये हालात पिछले 2 सालों से इस देश पर राज कर रहीं मोदी सरकार के दौरान बने है.दरअसल हमारे देश का इतिहास ही कुछ ऐसा रहा है जिससे देश कभी उबर ही नहीं पाया. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को राज करने में मदद करने वाला कोई विदेश से आये लोग नहीं बल्कि इसी मुल्क के लोग थे जो लगातर अंग्रेजी हुकूमत को मदद पहुंचा रहे थे और लगातार देश लूटता चला जा रहा था. ऐसा नहीं था की देश को आजादी मिलते ही देश में सब कुछ सुधर गया था. आजाद भारत के दामन में सबसे पहला दाग जीप घोटाले का लगा.खैर इस देश में घाटोला होना और उसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप होना इन दिनों आम बात हो चुकी है.इन सब के बीच मोदी सरकरा ने अपने कार्यकाल के 2 साल पूरे कर लिए है और सरकार अपना लगातार महिमामंडन खुद कर रही है और दुसरों से भी करवा रहीं है। कांग्रेस के कार्यकाल के बारे में बहुत चर्चा हो चुकी है और अब जरूरत हैं कि केंद्र में बैठी मोदी सरकरा के बीते 2 सालों का भी आंकलन करना शुरू कर दिया जाए.मोदी सरकार के 2 साल के कार्यकाल पूरा होने पर एक नारा दिया जा रहा है कि मेरा देश बदल रहा हैं और आज के दौर का मौजूदा सवाल भी यही है कि क्या वाकई देश बदल रहा है या फिर सब कुछ जस का तस है ! बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम काज को देखा जाए तो जरूर ये कहा जा सकता है कि देश के मौजूदा दौर को हो रहे उर्जा के संचार का एक बड़ा केंद्र खुद पीएम मोदी है लेकिन अगर हम मोदी के मंत्रीमंडल का आंकलन शुरू करे तो जरूर ये महसूस हो रहा है कि ये सरकार भी पिछली सरकार की तरह ही है बस सत्ता में बैठे लोगों के चेहरे बदल गए है ।पिछली सरकार में भी राज्यसभा के जरीए देश चल रहा था और इस बार की सरकार भी देश राज्यसभा के जरिए ही चला रही हैं । सत्ता में बैठी पार्टी के लिए सबसे जरूरी चीज हैं कि वो जनता के मन में असंतोष पैदा नहीं होने दे .मोदी के विवादित मंत्रियों के काम काज का आंकलन भी जरूरी हैं क्योंकी देश की जनता का एक बड़ा हिस्सा मोदी से संतुष्ट तो हैं लेकिन उनके मंत्रियों से खार खाए बैठे है .बतौर शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी के ही कामकाज को देखा जाए तो देश में छात्रों का एक बड़ा तबका स्मृति से नाराज बैठा है क्योंकि लगातार एक के बाद एक देश के बड़े विश्वविद्यालयों में विवाद को जिस तरह से निपटाने की कोशिश हो रही हैं उससे उन्हें लग रहा है कि उनकी आवाज को कही न कही दबाया जा रहा है । पीएम मोदी को इस बात का ख्याल रखना भी जरूरी हैं कि एक वक्त इंदिरा गांधी से नाराज छात्रों का ही आंदोलन इंदिरा गांधी के इतिहास को काला कर गया था और मौजूदा दौर के पीएम इस बात को जितनी जल्दी समझे उनके लिए उतना ही फायदेमंद होगा.यहां जिक्र देश के वित्त मंत्री अरूण जेटली का भी जरूरी है.देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था उसी दौर में अब भी दिख रही हैं जिस दौर में यूपीए कि सरकार उसे छोड़ गई थी.बल्की एक कदम और आगे इस व्यवस्था पर गौर करें तो मालूम होगा कि पिछली सरकार के नीतियों को आगे बढाते हुए मौजूदा वित्त मंत्री अरूण जेटली ने देश की जनता के जेब में हाथ मारते हुए कई जगहों पर टैक्स बढ़ा दिया जिससे छोटी से छोटी चीज भी मंहगी हो गई. यहां बात पेट्रोल और डीजल की भी जरूरी है जिससे सरकार और तेल बेचने वाली कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही है। यूपीए के दौर में पैट्रोल उस वक्त 70 रूपय का था जब अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल130 डॉलर प्रति बैरल का हुआ करता था और आज के वक्त में पेट्रोल 60 का हैं जबकि अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल 50डॉलर प्रति बैरल से भी कम हैं.ये तो बात शिक्षा और वित्त मंत्रालय कि हुई. हमें एक नजर देश के गृह मंत्री के भी काम पर डालना जरूरी है .देश की मौजूदा मोदी सरकार पर लगातार अष्हिणु होने के आरोप लगते आ रहे थे और साथ ही किसी भी विवाद में एक पक्ष को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगता रहा है।देश में बीफ के लेकर हो रही बहस हो या दो समुदाय का आमना – सामना , मोदी सरकार पर लगातार ऐसे मामलो को दबाने और अपने निजी स्वार्थ के हिसाब से काम करने का आरोप भी लगा। वहीं पीएम मोदी के लिए बेहद जरूरी है कि जिस नक्सलवाद को लेकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने जो अपनी चिंता जताई थी उसका हल वो अपने कार्यकाल में जरूर ढूंढ ले क्योंकि देश का मौजूदा नक्सलवाद नासूर बनता जा रहा है और सहीं कार्रवाई नहीं होने के कारण देश की जनता के अंदर असंतोष भी पैदा कर रहा है।मोदी सरकार के आने के बाद हिंदूवादी संगठन भी लगातार अपना विस्तार करना चाहते है और उसी का नतीजा है कि कथित तौर पर जानवर का कारोबार करने वालों को, बीफ खानेवाले को , कथित देशद्रोह करने वालों पर भीड़ हमला कर देती है.कई जगह भीड़ इतनी हिंसक होती है कि खुद को इस देश के सर्वोच्य व्यवस्था से उपर उठ कर सड़क पर कथित इंसाफ कर देती है। देश ही नहीं बल्की विदेश की मीडिया द्वारा भी अपने देश की ऐसी कई घटनाओं को जोर शोर से उठाया गया लेकिन आश्वासन के अलावा सरकार इस देश को इन मुद्दो पर ज्यादा कुछ दे नहीं पाई. यकिन मानिए ये सारी चीजें धीर –धीरे एक बड़े अंसतोष का रूप ले लगी जिससे मोदी सरकार को पार पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा इसलिए जरूरी है कि पीएम मोदी पहले ही इन तमाम चीजों से सबक ले .मोदी सरकार के कई ऐसे मंत्री भी है जो अब मोदी के लिए गले की फांस बन गए है. चाहे वो उमा भारती हो या फिर गिरिराज सिंह या इनके जैसे कई और मंत्री जिनके मंत्रालय में काम से ज्यादा तामझाम है और जनहित नदारद. पीएम मोदी के पास 3 साल और है जिनमें उनकी कोशिश होनी चाहिए कि वो देश के विकास को और तेजी दे पाएं. साथ ही पीएम मोदी को जनता की मूड का भी ख्याल रखना जरूरी होगा, कहीं ऐसा न हो जाए की देश की अर्थव्यवस्था की बगड़ती तबीयत को सुधारने के चक्कर में जनता का ही मूड बिगड़ जाए और देश बदलने से पहले 3 साल बाद फिर सरकार ही बदल दी जाएं. तो ऐसे में कहना होगा की सरकार को अपने जीत के हैंगओवर से निकल कर जमीनी हकीकत से रूबरू होने की जरूरत है ....

 ऋषिराज

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