Friday, January 30, 2015


राजनीति, पत्रकारिता, दिल्ली चुनाव और दामन पर दाग !

हमारे देश में चुनाव एक पर्व की तरह मनाये जाते है । नेता मेला लगाते है और जनता मेला घुम कर लोकतंत्र का मज़ा लेती है ।जी ,मजा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आज के दौर में चुनाव हो तो बड़े स्तर पर रहे है लेकिन वोट देने वाले सेल्फिबाज वोटर मुद्दों से ज्यादा चेहरों और टीवी में बार-बार आने वाले चेहरों को ही अपना नायक मानकर वोट देना । मौजूदा हालत देश में ऐसे बनते जा रहे है जैसे आप जितने देर टीवी पर दिख रहे है उसी हिसाब से पार्टी आपको पद और जनता अपना मत तय कर दे रही है । यही दुर्भाग्य भी है कि24 घंटे वाले लगभग तमाम चैनल अपने आप को सवालों के घेरे में खड़ा करते चले जा रहे है । पहले खबर को ब्रेक करने वाला बड़ा और अच्छा पत्रकार होता था लेकिन अब खबरों को किसी मुनाफे और घाटे के बीच से किसी एक राजनीतिक दल को फायदा पहुचाने वाला बड़ा पत्रकार कहलाता है । मसला कोई भी हो हम तमाम लोग चाहे नेता ,पत्रकार या फिर आम जनता सभी लोग कुंठा से भर चुके है ,कोई किसी के खिलाफ कह दे तो वो जिसके खिलाफ कह रहा है उसकी ओर से दलाल घोषित हो जाता है , कभी किसी के नेता के खिलाफ कह दीजिये तो जनता आपको दलाल कहने से हिचक नही रही है । नेता को सत्ता का भूख ,पत्रकारों को पैसा का भूख और आम जनता को मुफ्त में हर चीज पा लेने का भूख पुरे सिस्टम के साथ समाज के दामन पर दाग है। ये दाग मिटने के जगह समय के साथ गहराता ही चला जायेगा ! दिल्ली के चुनावों ने एक ऐसा माहौल खड़ा कर दिया है जिसमे मौजूदा सरकार सब कुछ दाव पर रख कर दिल्ली फतह करना चाहती है लेकिन केजरीवाल के दाव ने सब कुछ बिखेर कर रख दिया है । मीडिया का एक तबका खुलेआम सत्ता के करीब बैठना चाह रहा है तो वही एक तबका दूर से ही सत्ता की मलाई चख लेना चाह रहा है और ऐसी परिस्थितियों में शिकार आम जनता का ही होना है । राजनीति केवल सत्ता केन्द्रित हो चली है जिसमे उद्योग ही सब कुछ है तो दूसरी तरफ पत्रकारिता जिसने अपना मूल उधेश्य छोड़ सब कुछ याद रखा है और तीसरे किनारे वो आम जनता है जो मुद्दों से दूर अपना वोट शराब, नान, कवाब, चंद रुपयों में तय कर देती है तो ऐसे में दाग तो हर किसी के दामन पर है लेकिन इस दाग को कैसे मिटाया जा सके इसकी बात कोई करने वाला होगा या नही ,दाग को गहराते देख क्या कोई ये सवाल नही करेगा कि इस दाग को क्या नाम दे या फिर बीतते वक़्त के साथ इस दाग को अपना मान कर ये कहने में कोई दिक्कत नही होगी कि दामन पर लगे दाग अच्छे है !

Sunday, January 18, 2015

सह -मात और बीजेपी का प्रपंच!

वो बीते दिनों की बात हो चुकी है जब नीतियों के आधार पर सियासत के हुक्मरान राज करते थे और मौजूदा दौर में राज करने के लिए नीति बनाई जाती है । इसका जिक्र इसलिए क्योकि राजनीति में इनदिनो बीजेपी अपने चरम पर है और ऐसे ही कई और छलांग लगा कर एक नई ऊचाई पर पहुचने की कोशिश जारी है । बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 44 सीटों पर समेट दिया । लोकसभा के नतीजो के बाद गुजरात की जोड़ी यानि मोदी और साह ने अपनी दस्तक का अहसास दिल्ली और संघ को बखूबी करा दिया । मोदी पीएम बने और साह बीजेपी के मुखिया । फिर यही से शुरु हुआ सह और मात का खेल ,गौर करे तो सह और मात का खेल इस जोड़ी ने लोकसभा के चुनाव के वक़्त ही शुरु कर दिया था । बीजेपी ने चुनाव में जाने से पहले कई लोगो को तोडा और अपने पार्टी में शामिल किया । कुल 120 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट मिले जो इधर उधर से लाये हुए थे । माहौल कांग्रेस के खिलाफ बनती गयी और बीजेपी बड़ी पार्टी का आकार लेती गयी । ये बीजेपी का सह और मात का खेल ही था जिसने कांग्रेस को कांग्रेस के खिलाफ ही खड़ा कर दिया ,पार्टी छोड़ते नेताओ के आरोपों को कांग्रेस ख़ारिज ही नही कर पाई और इसी बीच एक बढिया मैनेजमेंट ने कांग्रेस को हाशिये पर खड़ा कर दिया । लोकसभा के चुनाव में जिस तरीके के लोक लुभावन बाते की गयी और जनता को ये दिखाने की कोशिश बहुत हद तक सफल रही जिसमे बीजेपी एक ऐसी पार्टी मालूम हो रही थी जो जनता के हर मर्म को समझ कर उसके मुसीबत का हल निकाल सकती है । दागी उम्मीदवारों उम्मीदवारों को टिकट और एक तरफ साफ़ राजनीति की बात दोनों ही काम बीजेपी कर रही थी और जनता जब तक समझती लोकसभा में बीजेपी 282 सीटो के साथ पहुच गयी । इन आंकड़ो में 95 ऐसे सांसद ऐसे है जो दुसरे दलों से आये है जिसमे कांग्रेस से लाये गये उम्मीदवार सबसे ज्यादा है । लोकसभा के बाद भी मोदी के भाषणों का तेवर नही बदला ,वो लगातार विपक्ष के भाषा बोलते रहे और एक -एक कर के हरियाणा के स्थानीय कांग्रेस में फुट डाल कर कई लोगो को अपनी पार्टी में शामिल करते गये ,ये सिलसिला यही नही रुका महाराष्ट्रा, झारखंड जम्मू-कश्मीर में भी बड़ी मात्रा में दुसरे दलों से लोगो को लाकर टिकट दिया । कई दागियो और बाहुबलियों को भी टिकट मिला और सीट बीजेपी के खाते में पक्की हुई । झारखंड में तो 19 ऐसे विधायक ऐसे जीत कर आये जो गंभीर आपराधिक केस में नामदज है । झारखंड के बाघमारा सीट से जीते विधायक पर तो 31 केस दर्ज है । बहरहाल ,ये सिलसिला यही नही रुकता है बंगाल में आगामी चुनाव को देखते हुए तोड़-फोड़ शुरु कर दी गयी है जिसमे ममता दीदी के एक मंत्री ने बीजेपी का दामन थाम लिया और आने वाले वक़्त में ऐसे कई और लोगो को पार्टी में शामिल किया जायेगा । इसमें कोई शक नही है कि बीजेपी सम्पूर्ण रूप से केवल और केवल चुनाव हर क़ीमत पर जितना चाहती है । दिल्ली में चुनाव का तारीख ऐलान जैसे ही हुआ पार्टी सक्रिय हो गयी है और एक के बाद एक आम आदमी पार्टी को रोकने के लिए उनकी ही पार्टी के लोगो को अपने पार्टी में शामिल किया जा रहा है । अश्वनी उपाध्याय हो, शाजिया इल्मी, विनोद कुमार बिन्नी और कई ऐसे लोग जिनको बीजेपी आम आदमी पार्टी के खिलाफ ही इस्तमाल करने जा रही है मात देने के लिए । बीजेपी के ये गुजरती बन्धु चुनाव को जिस चुनौती के रूप में ले रहे है उससे ये तो साफ़ है कि चुनाव के हर मर्म इनके पास है । जहा बीजेपी कमजोर पड़ती है वहा छोटी पार्टियों को या निर्दलीय को खड़ा कर पहले सह देती है और सामने वाली पार्टी को मात । ये सह और मात का खेल ही था जिसने अडवानी और जोशी सरीखे नेताओ को एक कोने में डिस्प्ले बोर्ड पर टांग दिया गया ,गुजरती बन्धुओ ने पाराशुट से उम्मीदवार गिराने की शुरुआत की है जिससे पार्टी के अन्ध्रुनी कलह पर पूरी तरह लगाम लगा कर चाभी अपने पास रखी जाये । इसके लिए आप हरियाणा या झारखंड का पन्ना पलट कर देख सकते है । मौजूदा दौर में किरण बेदी के आने से भी दिल्ली बीजेपी में भी कुछ ऐसा ही माहौल बनाया गया है जिससे दिल्ली की राजनीति में खुद को सह दिया जा सके और आम आदमी पार्टी को मात । आनेवाले दौर में देखना ये है कि इस सह और मात के खेल में गुजरती बन्धुओ पर कोई लगाम लगा पायेगा या इस सह और मात के खेल में गुजरती बन्धु बीजेपी का कोंग्रेसीकरण करके खुद को ही मात दे बठेंगे !

Wednesday, January 14, 2015

सेक्स...उफ्फ्फ...ये हिचक कैसी ?

सेक्स, क्यों नाम सुनते ही शरीर में सिहरन सी पैदा होने लगी ।अरे शर्माइये नहीं जनाब पूरा लेख पढ़िए और सेक्स में होने वाले रोमांच से ज्यादा सेक्स को समझने की कोशिश कीजिये ,यकीन मानिये जिन्दगी खूबसूरत हो जाएगी । तो सबसे पहले आप अपने अगल बगल झाक कर ये देखना बंद कीजिये की कही सेक्स के बारे में पढ़ते हुए कोई आपको देख तो नही रहा है उससे पहले आप अपने अंतर्मन ये सवाल कीजिये कि जिस प्रक्रिया से आपका प्रजनन हुआ वो छुपाने और झिझक पैदा करने वाला कैसे हो सकता है ? आप बात तक नही करना चाहते इस मसले पर तो बदलते वक़्त का स्वागत कैसे करेंगे ? सेक्स एक कला है ,जो अजन्ता -एलोरा की मूर्तिय चीख-चीख कर यही तो कहती है लेकिन हम संस्कृति का तमगा लेकर इस मुद्दे को कभी आगे बढने नहीं देते ,सेक्स करते है छुप-छुप कर, सेक्स देखते है छुप-छुप कर ,बाते वो नाम ही मत लो भाई साहब !सेक्स की बात लड़का -लड़की से बात नही कर सकता ,कोई किसी को सेक्स के बारे में ठीक -ठीक समझा भी नहीं सकता । बात करिए तो धीरे-धीरे ताकि कोई सुन ना ले । अब सेक्स के अहम पहलु पर बात करते है जिसके हिस्से में कई सवाल है जैसे अगर सेक्स आपत्ति जनक नही है तो माँ-बाप के सामने क्यों नही करते, क्या कोई भाई अपनी बहन को सेक्स करते देख स्वीकार कर सकता है ? अब आप ये समझिये की सेक्स क्या है ? सेक्स केवल संभोग की प्रक्रिया नही है । ये एक कला है जिसके कई हिस्से है ,प्यार का इजहार करना, प्यार जताना, प्यार करना । अगर भारत से बाहर पश्चिमी देशो को देखे तो वहा सेक्स जीवन का हिस्सा है जो उन्हें ख़ुशी ,बढ़िया शरीर और एक दुसरे पर प्यार जताने की जरिया है । रजनीश ओशो ने भी दुनिया को ये बात समझाने की कोशिश की जिसमे भारत यानि हमारा देश उनकी बात को समझना तो दूर ज्यादा सुनना भी पसंद नहीं करता था और आज की परिस्थितिया आप के सामने है ।खैर मसला इतना ही नहीं है हम सेक्स को कला के रूप में अपनाने से चूक गए और यही से सेक्स के लिए हमारी सोच सिकुड़ती चली गयी जिसका नतीजा वैश्यावृति ,बलात्कार, बीवी के साथ बिस्तर पर जबरदस्ती ,यौनिक हिंसा, लड़का-लड़की में भेद भाव ,लड़की शादी से पहले सेक्स कर ले तो हाय तौबा ,सेक्स सीन को टीवी स्क्रीन पर देखते ही रक्तचाप का बढ़ जाना आदि इत्यादि । हमारे भूतकाल से लेकर वर्तमान काल की यात्रा में जिस चीज को सबसे ज्यादा दबाने की कोशिश की गयी वो सेक्स ही था जो आज नासूर के रूप में पनप रहा है । बहरहाल हम जितनी जल्दी सेक्स को समझ कर उसे अपने दिनचर्या का हिस्सा मान ले तो हम तेजी से विचार की क्रांति में बड़ा बदलाव ला सकेंगे । सेक्स को लेकर हमे आपस में विचार विमर्श करने से लेकर लेखको द्वारा सेक्स के बारे में ज्यादा मात्रा में लिखे जाने की जरुरत है । सेक्स को लेकर अगर हम खुलापन ला सके तो हमारा समाज एड्स के मकडजाल से लड़ कर बहार निकल कर आने में कामयाब हो सकता है । तो फिर समझिये ,विचारिये और बात आगे बढाइये । इस बदलाव और प्रतिस्पर्धा की दुनिया में कही हमारा देश सेक्स जैसी छोटी सी बात में ही ना उलझा रह जाये । सेक्स को लेकर झिझकने से ज्यादा उसे अपनाने की जरुरत है । संस्कृति और सेक्स का कोई लेना देना नही है ,सेक्स केवल संभोग नही है इसके कई पहलू है । बढ़िया जीवन और तंदरुस्त जीवन का रास्ता भी सेक्स के दरवाजे से होकर ही गुजरता है । आप अगर ब्रह्मचारी बन कर इश्वर को पाना चाहते है तो ये मेरा दावा है कि आपसे पहले एक गृहस्त व्यक्ति इश्वर को पा सकता है उसमे ब्रह्मलीन हो सकता है । ब्रह्मचर्य भी एक जीवन पद्वति है लेकिन आज के दौर में ब्रह्मचर्य केवल कुंठा पैदा कर सकता है । सेक्स को समझिये तब जाकर आप सेक्स से ऊपर उठ सकते है ,सेक्स से दूर जाकर नही ! एक ब्रह्मचारी भी लिखित और मौखिक तौर पर सेक्स का ज्ञान हासिल करता है और तब जाकर उसका त्याग करता है ।

Monday, January 12, 2015

सियासत..केजरीवाल..और हम लोग !

कौन जीतेगा ,कौन हारेगा ,कैसे किसी दुसरे दल को छोटा दिखा कर अपना कद बड़ा कर लिया जाये ,इन सब माथापच्ची के बीच एक बड़ा सवाल ये की क्या केजरीवाल भी हार जायेंगे ? जी, इस सियासत के बीच केजरीवाल एक ऐसे पहलु है जिसे देश के प्रधानमंत्री से लेकर ,दूसरे दल के नेता, उम्मीदवार, निर्दलीय प्रत्याशी ,वोट डालने वाली जनता, मीडिया और सोशल मीडिया कोई भी नकार नही सकता या यू कहिये की दिल्ली की सियासत बिना केजरीवाल के पूरी ही नहीं हो सकती । अब बात केजरीवाल पर लगने वाले आरोपों की करे तो केजरीवाल के दामन में कई दाग दिखते है लेकिन महज सियासी जो किसी रूप में उनको नुकसान नहीं पंहुचा सकते । बात दिल्ली के 49 दिनों के सरकार से शुरू करे तो केजरीवाल को भगोड़ा और सत्ता का लोभी कहा गया लेकिन देखा जाये तो सत्ता की ललक अगर केजरीवाल में रहती तो वो कतई दिल्ली की गद्दी छोड़ बनारस मोदी को सीधा टक्कर देने नही पहुचते । केजरीवाल का सीधा और सटीक मकसद जनता को उस सिस्टम का स्वाद चखाना था जिसमे जनता मालिक और नेता जवाबदेह होता है लेकिन कही ना कही मोदी के सामने कोई करिश्माई चेहरा ना पेश कर पाना और बीजेपी के मुकाबले मीडिया और मार्किट को कंट्रोल ना कर पाना केजरीवाल को 443 प्रत्याशियों में 4 जीत के बीच समेट के रख दिया । पार्टी के अन्दर कलह और कई चेहरों का पार्टी को छोड़ जाना केजरीवाल को कटघरे में खड़ा कर गया लेकिन सवालों के बीच कई चेहरों ने ये तक आरोप लगा दिया की पार्टी में उनकी कद घट गयी है ! जब गौर से इस मसले को देखेंगे तो मालूम होगा की ये आरोप उस नेता ने लगाया जिसने पार्टी के तरफ से 6 महीनो में दो चुनाव लड़ लिया था तो ऐसे सूरत में तरजीह ना मिलने का सवाल ही नही है तो फिर आरोप खुद शक के दायरे में आ जाते है । अब बात अगर बिजली पानी की करे तो आम आदमी पार्टी पर बीजेपी मुफ्तखोरी का आरोप लगती आई है ठीक वैसे जैसे ये आरोप पहले कांग्रेस पर लगते आये थे । आम आदमी की जरुरतो को देखे तो बिजली और पानी अच्छे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इन पर हर आम का अधिकार भी है तो ऐसे में मुफ्त पानी और सस्ती बिजली तो हर वो आदमी चाहता है जो बसों और मेट्रो में धक्के खाता काम पर जाता है या फिर मायापुरी और कापसहेड़ा में जीवन जीने के लिए लड़ाई लड़ रहा है या फिर झुग्गी में जीवन के दरिद्र रूप से लड़ रहा गरीब आदमी । जहा तक भ्रष्टाचार से लड़ने का सवाल है तो 'आप' का जन्म ही इस मुद्दे पर हुआ है तो भ्रष्टाचार इस पार्टी के सामने बौनी दिखाई पड़ती है । पिछले कुछ महीनो में आम आदमी पार्टी के चंदे पर सवाल खड़ा करने वालो को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों जगह से रुसवाई ही मिली तो मामला यहा भी फसता नही दिखता है । जहा तक सवाल धरना का है तो ये अधिकार सबका है और केजरीवाल को धरना मास्टर कहने से पहले बापू से लेकर खुद सवाल उठाने वाले भी ये देख ले की उनका इतिहास भी कुछ ऐसा ही रहा है । केजरीवाल जिसने आइएस की कुर्सी छोड़ कर दर दर की ठोकर खाने का फैसला लिया ,जनता के लिए खुद की ईमानदारी और देश सेवा के भाव का दूसरे दलों के निशाने पर रख दिया तो ऐसे व्यक्ति को कौन हरा सकता है ।क्या केजरीवाल के निष्ठां पर सवालिया निशान लगाया जा सकता है ? क्या हम हमारे ही अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले केजरीवाल को दरकिनार कर सकते है ? क्या हमारे नकारने से केजरीवाल खत्म हो सकता है ? क्या दुसरे दल जिनका इमान ही सत्ता पर काबिज रहना है वो केजरीवाल को मिटा सकते है या फिर आने वाले वक़्त में और भी कई केजरीवाल जन्म लेंगे जो देश की सियासत को अपने ईमानदारी से दो-दो हाथ करने की चुनौती देंगे !

Saturday, January 10, 2015

लाख कोशिशो के बाद...

लाख कोशिशो के बाद हम मिल नही पाए , तुमने कहा था दोगी मेरा साथ, अपने हाथो में रखकर मेरा हाथ, दोहराती थी तुम हर बात पर ये बात लेकिन, लाख कोशिशो के बाद हम मिल नही पाए । गुटरगू करते मोहब्बत का मज़ा भी खूब लिया, कभी चोकलेट तो कभी टीशर्ट गिफ्ट दिया , मैंने भी तुझको पाने के लिए 2 और 2 एक किया , लेकिन लाख कोशिशो के बाद हम मिल नही पाए । कभी मोटरसाइकिल पर तो कभी कार में घुमाया, कभी डिजनीलैंड तो कभी तुझको मैंने पीके भी दिखाया , बात -बात पर तेरे नखरे को सर पर बिठाया लेकिन, लाख कोशिशो के बाद हम मिल नही पाए । अपने कोशिशो को देख तो मेरे आंख भर आये , लाख रूपये तो तेरे घरवालो को खुश करने में उडाये , तेरे मोहब्बत के खातिर हम आज भी कुर्बान हो जाये लेकिन , लाख कोशिशो के बाद हम मिल नही पाए । -ऋषि राज े

दिल्ली की सर्दी और चुनावी गर्मी

तकरीबन 25 हजार लोग रामलीला मैदान में प्रधानमन्त्री की बात सुनने के लिए मौजूद थे । जिसमे ज्यादातर लोग बसों में बैठा कर लाये गये थे । दिल्ली के सांसदों से लेकर बीजेपी के अध्यक्ष को सुनने के लिए जनता आतूर नहीं दिखी । वो सभी केवल और केवल मोदी को सुनने के लिए ही आये थे जो उन्होंने बार बार महसूस भी कराया । अब जब जनता किसी और की बात नहीं सुनना चाहती तो मै भी क्या और क्यों लिखू उनके बारे में ? वैसे एक बार जिक्र मनोज तिवारी की बनती है जिन्होंने केजरीवाल को साफ़ कहा कि ऑटो के पीछे अपने फोटो के साथ मेरी फोटो लगवाइए तब आपको टक्कर का अंदाजा होगा । वैसे उन्होंने बड़े प्यार से इन बातो के जरिये जगदीश मुखी को नकारते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ,भाई वाह मान गये मनोज भाई राजनीति आप भी सीख गये । खैर अब बात मोदी की करते है जिन्होंने आज कुल 38 मिनट का भाषण दिया । मोदी आज कुछ अलग ही मुड में थे अपने भाषण के अंत में भारत माता की जयकार लगाना भूल गये ,भाई हो सकता है प्रतिद्वंदी इतना मजबूत है दिल्ली में कि हालत खराब होना तो लाजमी है । खैर वही सपनो का पिटारा खोलते मोदी ने अनर्गल सपनो का सौदा करना पसंद किया । लच्छेदार भाषण में बिजली और झुग्गी झोपडी मुद्दा रहा । 2022 तक सबको घर देने की बात कहते हुए मोदी ने बिजली पर किये वादों को भुला दिया । 30 प्रतिशत दाम कम करने की बात बीते दिनों की हो गयी है जो अब अप्रंगिक दिखता है । बड़ी बात ये रही की दिल्ली में भ्रष्टाचार का जिक्र नही हुआ अगर होता तो मोदी जी को केजरीवाल mcd में हो रहे पैसे के खेल से सामना करवा देते जो बीजेपी के लिए अपाच्य साबित होती । मोदी ने कहा की हम झूट की फेक्ट्री चलाने वालो के बारे में जिक्र नही करना चाहते और उन्होंने बिना नाम लिए ही आम आदमी पार्टी पर अपने भाषण का 13 मिनट बर्बाद कर दिया । भागने वालो को सजा देने की बात कही, अराजकता फ़ैलाने वालो को नक्सलियों से मिल जाने को कहा । धरना मास्टर से लेकर हार का मज़ा चखाने की बात मोदी जी ने जनता से कर दी ,वही बीजेपी जो सबसे बड़ा भूल कर रही है वो ये कि जो गलती आप ने लोकसभा में बिना एजेंडा के चुनाव लड़ने की चालकी दिखाई थी और केवल विरोध की राजनीति कर के चुनाव जितने कि कोशिश की थी अब वही काम दिल्ली में बीजेपी करना चाहती है ,नतीजा आपके सामने है । आज के वक़्त को देखते हुए ये तो कहा जा सकता है , हाथी, घोडा और पालकी , जय हो मोदी सरकार आपकी । ं

दिल्ली की सर्दी और चुनावी गर्मी

तकरीबन 25 हजार लोग रामलीला मैदान में प्रधानमन्त्री की बात सुनने के लिए मौजूद थे । जिसमे ज्यादातर लोग बसों में बैठा कर लाये गये थे । दिल्ली के सांसदों से लेकर बीजेपी के अध्यक्ष को सुनने के लिए जनता आतूर नहीं दिखी । वो सभी केवल और केवल मोदी को सुनने के लिए ही आये थे जो उन्होंने बार बार महसूस भी कराया । अब जब जनता किसी और की बात नहीं सुनना चाहती तो मै भी क्या और क्यों लिखू उनके बारे में ? वैसे एक बार जिक्र मनोज तिवारी की बनती है जिन्होंने केजरीवाल को साफ़ कहा कि ऑटो के पीछे अपने फोटो के साथ मेरी फोटो लगवाइए तब आपको टक्कर का अंदाजा होगा । वैसे उन्होंने बड़े प्यार से इन बातो के जरिये जगदीश मुखी को नकारते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ,भाई वाह मान गये मनोज भाई राजनीति आप भी सीख गये । खैर अब बात मोदी की करते है जिन्होंने आज कुल 38 मिनट का भाषण दिया । मोदी आज कुछ अलग ही मुड में थे अपने भाषण के अंत में भारत माता की जयकार लगाना भूल गये ,भाई हो सकता है प्रतिद्वंदी इतना मजबूत है दिल्ली में कि हालत खराब होना तो लाजमी है । खैर वही सपनो का पिटारा खोलते मोदी ने अनर्गल सपनो का सौदा करना पसंद किया । लच्छेदार भाषण में बिजली और झुग्गी झोपडी मुद्दा रहा । 2022 तक सबको घर देने की बात कहते हुए मोदी ने बिजली पर किये वादों को भुला दिया । 30 प्रतिशत दाम कम करने की बात बीते दिनों की हो गयी है जो अब अप्रंगिक दिखता है । बड़ी बात ये रही की दिल्ली में भ्रष्टाचार का जिक्र नही हुआ अगर होता तो मोदी जी को केजरीवाल mcd में हो रहे पैसे के खेल से सामना करवा देते जो बीजेपी के लिए अपाच्य साबित होती । मोदी ने कहा की हम झूट की फेक्ट्री चलाने वालो के बारे में जिक्र नही करना चाहते और उन्होंने बिना नाम लिए ही आम आदमी पार्टी पर अपने भाषण का 13 मिनट बर्बाद कर दिया । भागने वालो को सजा देने की बात कही, अराजकता फ़ैलाने वालो को नक्सलियों से मिल जाने को कहा । धरना मास्टर से लेकर हार का मज़ा चखाने की बात मोदी जी ने जनता से कर दी ,वही बीजेपी जो सबसे बड़ा भूल कर रही है वो ये कि जो गलती आप ने लोकसभा में बिना एजेंडा के चुनाव लड़ने की चालकी दिखाई थी और केवल विरोध की राजनीति कर के चुनाव जितने कि कोशिश की थी अब वही काम दिल्ली में बीजेपी करना चाहती है ,नतीजा आपके सामने है । आज के वक़्त को देखते हुए ये तो कहा जा सकता है , हाथी, घोडा और पालकी , जय हो मोदी सरकार आपकी । ं

दिल्ली की सर्दी और चुनावी गर्मी

तकरीबन 25 हजार लोग रामलीला मैदान में प्रधानमन्त्री की बात सुनने के लिए मौजूद थे । जिसमे ज्यादातर लोग बसों में बैठा कर लाये गये थे । दिल्ली के सांसदों से लेकर बीजेपी के अध्यक्ष को सुनने के लिए जनता आतूर नहीं दिखी । वो सभी केवल और केवल मोदी को सुनने के लिए ही आये थे जो उन्होंने बार बार महसूस भी कराया । अब जब जनता किसी और की बात नहीं सुनना चाहती तो मै भी क्या और क्यों लिखू उनके बारे में ? वैसे एक बार जिक्र मनोज तिवारी की बनती है जिन्होंने केजरीवाल को साफ़ कहा कि ऑटो के पीछे अपने फोटो के साथ मेरी फोटो लगवाइए तब आपको टक्कर का अंदाजा होगा । वैसे उन्होंने बड़े प्यार से इन बातो के जरिये जगदीश मुखी को नकारते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ,भाई वाह मान गये मनोज भाई राजनीति आप भी सीख गये । खैर अब बात मोदी की करते है जिन्होंने आज कुल 38 मिनट का भाषण दिया । मोदी आज कुछ अलग ही मुड में थे अपने भाषण के अंत में भारत माता की जयकार लगाना भूल गये ,भाई हो सकता है प्रतिद्वंदी इतना मजबूत है दिल्ली में कि हालत खराब होना तो लाजमी है । खैर वही सपनो का पिटारा खोलते मोदी ने अनर्गल सपनो का सौदा करना पसंद किया । लच्छेदार भाषण में बिजली और झुग्गी झोपडी मुद्दा रहा । 2022 तक सबको घर देने की बात कहते हुए मोदी ने बिजली पर किये वादों को भुला दिया । 30 प्रतिशत दाम कम करने की बात बीते दिनों की हो गयी है जो अब अप्रंगिक दिखता है । बड़ी बात ये रही की दिल्ली में भ्रष्टाचार का जिक्र नही हुआ अगर होता तो मोदी जी को केजरीवाल mcd में हो रहे पैसे के खेल से सामना करवा देते जो बीजेपी के लिए अपाच्य साबित होती । मोदी ने कहा की हम झूट की फेक्ट्री चलाने वालो के बारे में जिक्र नही करना चाहते और उन्होंने बिना नाम लिए ही आम आदमी पार्टी पर अपने भाषण का 13 मिनट बर्बाद कर दिया । भागने वालो को सजा देने की बात कही, अराजकता फ़ैलाने वालो को नक्सलियों से मिल जाने को कहा । धरना मास्टर से लेकर हार का मज़ा चखाने की बात मोदी जी ने जनता से कर दी ,वही बीजेपी जो सबसे बड़ा भूल कर रही है वो ये कि जो गलती आप ने लोकसभा में बिना एजेंडा के चुनाव लड़ने की चालकी दिखाई थी और केवल विरोध की राजनीति कर के चुनाव जितने कि कोशिश की थी अब वही काम दिल्ली में बीजेपी करना चाहती है ,नतीजा आपके सामने है । आज के वक़्त को देखते हुए ये तो कहा जा सकता है , हाथी, घोडा और पालकी , जय हो मोदी सरकार आपकी । ं
तकरीबन 25 हजार लोग रामलीला मैदान में प्रधानमन्त्री की बात सुनने के लिए मौजूद थे । जिसमे ज्यादातर लोग बसों में बैठा कर लाये गये थे । दिल्ली के सांसदों से लेकर बीजेपी के अध्यक्ष को सुनने के लिए जनता आतूर नहीं दिखी । वो सभी केवल और केवल मोदी को सुनने के लिए ही आये थे जो उन्होंने बार बार महसूस भी कराया । अब जब जनता किसी और की बात नहीं सुनना चाहती तो मै भी क्या और क्यों लिखू उनके बारे में ? वैसे एक बार जिक्र मनोज तिवारी की बनती है जिन्होंने केजरीवाल को साफ़ कहा कि ऑटो के पीछे अपने फोटो के साथ मेरी फोटो लगवाइए तब आपको टक्कर का अंदाजा होगा । वैसे उन्होंने बड़े प्यार से इन बातो के जरिये जगदीश मुखी को नकारते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ,भाई वाह मान गये मनोज भाई राजनीति आप भी सीख गये । खैर अब बात मोदी की करते है जिन्होंने आज कुल 38 मिनट का भाषण दिया । मोदी आज कुछ अलग ही मुड में थे अपने भाषण के अंत में भारत माता की जयकार लगाना भूल गये ,भाई हो सकता है प्रतिद्वंदी इतना मजबूत है दिल्ली में कि हालत खराब होना तो लाजमी है । खैर वही सपनो का पिटारा खोलते मोदी ने अनर्गल सपनो का सौदा करना पसंद किया । लच्छेदार भाषण में बिजली और झुग्गी झोपडी मुद्दा रहा । 2022 तक सबको घर देने की बात कहते हुए मोदी ने बिजली पर किये वादों को भुला दिया । 30 प्रतिशत दाम कम करने की बात बीते दिनों की हो गयी है जो अब अप्रंगिक दिखता है । बड़ी बात ये रही की दिल्ली में भ्रष्टाचार का जिक्र नही हुआ अगर होता तो मोदी जी को केजरीवाल mcd में हो रहे पैसे के खेल से सामना करवा देते जो बीजेपी के लिए अपाच्य साबित होती । मोदी ने कहा की हम झूट की फेक्ट्री चलाने वालो के बारे में जिक्र नही करना चाहते और उन्होंने बिना नाम लिए ही आम आदमी पार्टी पर अपने भाषण का 13 मिनट बर्बाद कर दिया । भागने वालो को सजा देने की बात कही, अराजकता फ़ैलाने वालो को नक्सलियों से मिल जाने को कहा । धरना मास्टर से लेकर हार का मज़ा चखाने की बात मोदी जी ने जनता से कर दी ,वही बीजेपी जो सबसे बड़ा भूल कर रही है वो ये कि जो गलती आप ने लोकसभा में बिना एजेंडा के चुनाव लड़ने की चालकी दिखाई थी और केवल विरोध की राजनीति कर के चुनाव जितने कि कोशिश की थी अब वही काम दिल्ली में बीजेपी करना चाहती है ,नतीजा आपके सामने है । आज के वक़्त को देखते हुए ये तो कहा जा सकता है , हाथी, घोडा और पालकी , जय हो मोदी सरकार आपकी । ं
तकरीबन 25 हजार लोग रामलीला मैदान में प्रधानमन्त्री की बात सुनने के लिए मौजूद थे । जिसमे ज्यादातर लोग बसों में बैठा कर लाये गये थे । दिल्ली के सांसदों से लेकर बीजेपी के अध्यक्ष को सुनने के लिए जनता आतूर नहीं दिखी । वो सभी केवल और केवल मोदी को सुनने के लिए ही आये थे जो उन्होंने बार बार महसूस भी कराया । अब जब जनता किसी और की बात नहीं सुनना चाहती तो मै भी क्या और क्यों लिखू उनके बारे में ? वैसे एक बार जिक्र मनोज तिवारी की बनती है जिन्होंने केजरीवाल को साफ़ कहा कि ऑटो के पीछे अपने फोटो के साथ मेरी फोटो लगवाइए तब आपको टक्कर का अंदाजा होगा । वैसे उन्होंने बड़े प्यार से इन बातो के जरिये जगदीश मुखी को नकारते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ,भाई वाह मान गये मनोज भाई राजनीति आप भी सीख गये । खैर अब बात मोदी की करते है जिन्होंने आज कुल 38 मिनट का भाषण दिया । मोदी आज कुछ अलग ही मुड में थे अपने भाषण के अंत में भारत माता की जयकार लगाना भूल गये ,भाई हो सकता है प्रतिद्वंदी इतना मजबूत है दिल्ली में कि हालत खराब होना तो लाजमी है । खैर वही सपनो का पिटारा खोलते मोदी ने अनर्गल सपनो का सौदा करना पसंद किया । लच्छेदार भाषण में बिजली और झुग्गी झोपडी मुद्दा रहा । 2022 तक सबको घर देने की बात कहते हुए मोदी ने बिजली पर किये वादों को भुला दिया । 30 प्रतिशत दाम कम करने की बात बीते दिनों की हो गयी है जो अब अप्रंगिक दिखता है । बड़ी बात ये रही की दिल्ली में भ्रष्टाचार का जिक्र नही हुआ अगर होता तो मोदी जी को केजरीवाल mcd में हो रहे पैसे के खेल से सामना करवा देते जो बीजेपी के लिए अपाच्य साबित होती । मोदी ने कहा की हम झूट की फेक्ट्री चलाने वालो के बारे में जिक्र नही करना चाहते और उन्होंने बिना नाम लिए ही आम आदमी पार्टी पर अपने भाषण का 13 मिनट बर्बाद कर दिया । भागने वालो को सजा देने की बात कही, अराजकता फ़ैलाने वालो को नक्सलियों से मिल जाने को कहा । धरना मास्टर से लेकर हार का मज़ा चखाने की बात मोदी जी ने जनता से कर दी ,वही बीजेपी जो सबसे बड़ा भूल कर रही है वो ये कि जो गलती आप ने लोकसभा में बिना एजेंडा के चुनाव लड़ने की चालकी दिखाई थी और केवल विरोध की राजनीति कर के चुनाव जितने कि कोशिश की थी अब वही काम दिल्ली में बीजेपी करना चाहती है ,नतीजा आपके सामने है । आज के वक़्त को देखते हुए ये तो कहा जा सकता है , हाथी, घोडा और पालकी , जय हो मोदी सरकार आपकी । ं
तकरीबन 25 हजार लोग रामलीला मैदान में प्रधानमन्त्री की बात सुनने के लिए मौजूद थे । जिसमे ज्यादातर लोग बसों में बैठा कर लाये गये थे । दिल्ली के सांसदों से लेकर बीजेपी के अध्यक्ष को सुनने के लिए जनता आतूर नहीं दिखी । वो सभी केवल और केवल मोदी को सुनने के लिए ही आये थे जो उन्होंने बार बार महसूस भी कराया । अब जब जनता किसी और की बात नहीं सुनना चाहती तो मै भी क्या और क्यों लिखू उनके बारे में ? वैसे एक बार जिक्र मनोज तिवारी की बनती है जिन्होंने केजरीवाल को साफ़ कहा कि ऑटो के पीछे अपने फोटो के साथ मेरी फोटो लगवाइए तब आपको टक्कर का अंदाजा होगा । वैसे उन्होंने बड़े प्यार से इन बातो के जरिये जगदीश मुखी को नकारते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ,भाई वाह मान गये मनोज भाई राजनीति आप भी सीख गये । खैर अब बात मोदी की करते है जिन्होंने आज कुल 38 मिनट का भाषण दिया । मोदी आज कुछ अलग ही मुड में थे अपने भाषण के अंत में भारत माता की जयकार लगाना भूल गये ,भाई हो सकता है प्रतिद्वंदी इतना मजबूत है दिल्ली में कि हालत खराब होना तो लाजमी है । खैर वही सपनो का पिटारा खोलते मोदी ने अनर्गल सपनो का सौदा करना पसंद किया । लच्छेदार भाषण में बिजली और झुग्गी झोपडी मुद्दा रहा । 2022 तक सबको घर देने की बात कहते हुए मोदी ने बिजली पर किये वादों को भुला दिया । 30 प्रतिशत दाम कम करने की बात बीते दिनों की हो गयी है जो अब अप्रंगिक दिखता है । बड़ी बात ये रही की दिल्ली में भ्रष्टाचार का जिक्र नही हुआ अगर होता तो मोदी जी को केजरीवाल mcd में हो रहे पैसे के खेल से सामना करवा देते जो बीजेपी के लिए अपाच्य साबित होती । मोदी ने कहा की हम झूट की फेक्ट्री चलाने वालो के बारे में जिक्र नही करना चाहते और उन्होंने बिना नाम लिए ही आम आदमी पार्टी पर अपने भाषण का 13 मिनट बर्बाद कर दिया । भागने वालो को सजा देने की बात कही, अराजकता फ़ैलाने वालो को नक्सलियों से मिल जाने को कहा । धरना मास्टर से लेकर हार का मज़ा चखाने की बात मोदी जी ने जनता से कर दी ,वही बीजेपी जो सबसे बड़ा भूल कर रही है वो ये कि जो गलती आप ने लोकसभा में बिना एजेंडा के चुनाव लड़ने की चालकी दिखाई थी और केवल विरोध की राजनीति कर के चुनाव जितने कि कोशिश की थी अब वही काम दिल्ली में बीजेपी करना चाहती है ,नतीजा आपके सामने है । आज के वक़्त को देखते हुए ये तो कहा जा सकता है , हाथी, घोडा और पालकी , जय हो मोदी सरकार आपकी । ं