Sunday, March 3, 2019

पाकिस्तान से बातचीत का मतलब भारत के कश्मीर का बंटवारा है जो किसी को मंजूर नहीं !




तो एजेंडा क्या है ? एजेंडा का पता नहीं लेकिन हर कोई इस होड़ में जरूर है कि वो या तो सत्ता के सबसे करीबी के तौर पर जाना माना जाए या फिर उसे सबसे ज्यादा सत्ता विरोधी का दर्जा दे दिया जाए। सत्ता का दुरुपयोग करने वाले नेहरू ना कोई पहले आदमी थे न पीएम मोदी आखिरी। सत्ता या फिर एक विचारधारा के नेता से आपको उम्मीद होती तो बहुत है लेकिन वो जब पूरी न हो तो आपको अपराध बोध साबित कर देती है !  बात पाकिस्तान से शुरू करें तो ये कभी खत्म न होने वाली बात होगी लेकिन फिर भी अगर आप युद्ध नहीं चाहते तो जाहिर है आप पड़ोसी से बातचीत की उम्मीद रखते हैं, वैसे कुलदीप नैय्यर ने अपनी पुस्तक में साफ साफ लिखा है कि वो नेहरू हो या पटेल या शास्त्री सब ये मानते थे कि पाकिस्तान बात करने लायक मुल्क नहीं है ,उसका मकसद सिर्फ भारत से  झगड़ा है, तो ऐसे में पुर्वजों की बात को लकीर माने तो पाकिस्तान को काबू में करने का एक ही तरीका है कि पहले तो युद्ध का आगाज हो । युद्ध की शुरुआत के बाद जब पड़ोसी मुल्क  पर अपना कब्जा हो । यहाँ में ये साफ करना चाहता हूँ कि पाकिस्तान की आजादी से मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस युद्ध के बाद पाकिस्तान की सेना और आईएसआई को खत्म किया जाए,उसकी सुरक्षा नीति या तो भारत देखें या फिर यूनाइटेड नेशन। दूसरे विकल्प के तौर पाकिस्तान का एक और टुकड़ा हो और जो दूसरा देश बलूचिस्तान बने उसे भारत भूटान की तरह लाड दुलार करें । तीसरा विकल्प ये है कि पाकिस्तान पर भी भारतीय हुकूमत का शासन हो जिसकी संभावना कम ही नजर आती है ।
अब बात करते हैं शांति और  बातचीत की यहाँ मैं ये कह देना चाहता हूँ कि मैं शांति पसंद आदमी हूँ लेकिन लाशों को गिन गिन कर तक गया हूँ और ये बुद्ध का बालक युद्ध चाहता है । हाँ तो बात शांति की , कश्मीर मुद्दे पर लोग बात करके हल चाहते हैं,  हम पाक के कब्जे वाले कश्मीर को अपना मानते हैं और हमारे पास जो कश्मीर है  उसे पाक आजाद कश्मीर या यूं कहिए कि भारत के कब्जे वाला कश्मीर कहता है । ऐसे में बात चीत तो तभी होगी जब दोनों देश कुछ कुर्बानी देंगे, अटल जी के वक़्त कहा जाता है कि दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्से वो पाकिस्तान में देने को तैयार थे जिससे दोनों मुल्क में अमन बहाल हो ! लेकिन ऐसा नहीं हुआ, आगे भी अब जब बात होगी तो यहीं दक्षिण कश्मीर से बात शुरू होगी ऐसे में पाकिस्तान उस कश्मीर से हमे क्या देगा मैं ये तो नहीं जानता लेकिन भारत वाला कश्मीर टूटेगा.. ऐसे में ये जोखिम लेने के लिए न मोदी में कलेजा है न किसी और नेता में ! चूंकि बांग्लादेश से भी जो सीमा  बंटवारा मोदी राज में हुआ उसमें भारत ने बांग्लादेश को ज्यादा कुछ दिया है । बातचीत के दौरान दूसरे देश भी यहीं  चाहेंगे कि भारत बड़ा मुल्क होने के नाते बड़ा दिल दिखाए,इसका खामियाजा सीधे सीधे सत्ता को चुनाव में होगा,क्योंकि हमारे यहाँ मुद्दे जरूरत पर आधारित न होकर भावनाओं पर आधारित होते हैं । बहरहाल फर्ज कीजिये कि कश्मीर में फिर बंटवारा हो जाएं ,दक्षिण कश्मीर के कुछ टुकड़े पाकिस्तान में मिल भी जाये तो कल को पाकिस्तान के पास दुनिया में क्या मुँह दिखाना होगा, सरहद पर तनाव नहीं होगा तो फ्रांस, रूस, अमेरिका, चीन ,इजरायल के हथियारों के कारोबार का क्या होगा ? पाकिस्तान फिर आएगा और इस बार वो गुजरात की सीमा के लिए आपसे लड़ेगा ....