ये जान कर आप हैरान हो
जाएंगे, कि साल 2018 में युवाओं की लिए बुरी खबर मुंह खोले खड़ी है. नौकरी के लिए
रोज धक्का खाने वाले युवाओं को ये खबर निराश कर सकती है . ये बुरी खबर देश के उन
तमाम युवाओं के लिए है जो बैंकिग सेक्टर में अपना सुनहरा भविष्य बनाने की ख्वाब को
सजों रहे है. खराब हालत से
गुज़र रहे बैंक अपनी स्थिति सुधारने के लिए हर कोशिश में जुटे हुए है. इसके चलते
आने वाले समय में आईबीपीएस जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बुरी
खबर है. 2018 में भारत के कई बड़े सरकारी बैंक कोई वैकेंसी नहीं निकालेंगे. इसके
साथ ही बैंक अपनी ओवरसीज़ ब्रांच को भी बन कर देंगे. सरकार से जुड़े सुत्रों की
माने तो बैंके अपने ऑवरसीज ब्रांचों को बंद करने की तैयारी में है. कहा तो ये भी
जा रहा है कि सरकार ने इशारों ही इशारों में बंद करने की अनुमति दे दी है. जरा
आकंडों के लिहाज से समझ लीजिए की बैंकिग सेक्टर किन परिस्थितियों से गुजरने की
तैयारी में है.
पंजाब नेशनल बैंक
जहां एक साल में 300 शाखाएं बंद कर देगा. वहीं बैंक ऑफ इंडिया 700 एटीएम खत्म
करेगा. आईबीपीएस के नोटिफिकेशन के मुताबिक 2018 में पीओ की सिर्फ 3562 वैकेंसी हीं
होंगी.
2014 में
आईबीपीएस की 21,680 वैकेंसी थीं. 2015 में ये आंकड़ा 16721 हुआ. 2017 में ये गिनती
घटते-घटते 8822 पर पहुंच गया. आने वाले समय में बैंको में नौकरियों की संभावना
10-15 प्रतिशत ही रह गई है.
2018 में भी बैंक
ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और पंजाब नेशनल बैंक
जैसे कई बड़े संस्थान एक भी भर्ती नहीं करेंगे.
ये आंकड़े किसी
को भी परेशान कर सकते है. जाहिर है जब बैंको में सरकारी नौकरी नहीं निकलेगी तो फिर
बेरोजगारी बढ़ेगी, साथ ही कोचिंग संस्थानों में तैयारी कर रहे लाखों लाख छात्रों
का क्या होगा ये कोई नहीं जानता . वहीं आम लोगों के लिए बैंको का मर्जर होना भी किसी परेशानी
से कम नहीं है. एसबीआई के सहयोगी
बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर के चेक 1 जनवरी से अमान्य हो जाएंगे. इनका विलय
इसी साल अप्रैल में भारतीय स्टेट बैंक में कर दिया गया था. जाहिर है एक तरफ बैंको का मर्जर है जिसके पक्ष
में तर्क दिया जा रहा है कि काम करने में आसानी होगी तो दूसरी तरफ वो युवा है जो
बैंकों में नौकरी का खव्बा देख रहे है ऐसे
में सरकार को चाहिए कि वो जल्द से जल्द कोई रास्ता ढूंढ निकाले क्योंकि अगर युवाओं
को नौकरी साल 2018 में नहीं मिली तो फिर 2019 में आम चुनाव होने है जिसपर खासा असर
पड़ेगा और ये सौदा मोदी सरकार को भी महंगी पड़ सकती है..