Friday, January 30, 2015

राजनीति, पत्रकारिता, दिल्ली चुनाव और दामन पर दाग !

हमारे देश में चुनाव एक पर्व की तरह मनाये जाते है । नेता मेला लगाते है और जनता मेला घुम कर लोकतंत्र का मज़ा लेती है ।जी ,मजा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आज के दौर में चुनाव हो तो बड़े स्तर पर रहे है लेकिन वोट देने वाले सेल्फिबाज वोटर मुद्दों से ज्यादा चेहरों और टीवी में बार-बार आने वाले चेहरों को ही अपना नायक मानकर वोट देना । मौजूदा हालत देश में ऐसे बनते जा रहे है जैसे आप जितने देर टीवी पर दिख रहे है उसी हिसाब से पार्टी आपको पद और जनता अपना मत तय कर दे रही है । यही दुर्भाग्य भी है कि24 घंटे वाले लगभग तमाम चैनल अपने आप को सवालों के घेरे में खड़ा करते चले जा रहे है । पहले खबर को ब्रेक करने वाला बड़ा और अच्छा पत्रकार होता था लेकिन अब खबरों को किसी मुनाफे और घाटे के बीच से किसी एक राजनीतिक दल को फायदा पहुचाने वाला बड़ा पत्रकार कहलाता है । मसला कोई भी हो हम तमाम लोग चाहे नेता ,पत्रकार या फिर आम जनता सभी लोग कुंठा से भर चुके है ,कोई किसी के खिलाफ कह दे तो वो जिसके खिलाफ कह रहा है उसकी ओर से दलाल घोषित हो जाता है , कभी किसी के नेता के खिलाफ कह दीजिये तो जनता आपको दलाल कहने से हिचक नही रही है । नेता को सत्ता का भूख ,पत्रकारों को पैसा का भूख और आम जनता को मुफ्त में हर चीज पा लेने का भूख पुरे सिस्टम के साथ समाज के दामन पर दाग है। ये दाग मिटने के जगह समय के साथ गहराता ही चला जायेगा ! दिल्ली के चुनावों ने एक ऐसा माहौल खड़ा कर दिया है जिसमे मौजूदा सरकार सब कुछ दाव पर रख कर दिल्ली फतह करना चाहती है लेकिन केजरीवाल के दाव ने सब कुछ बिखेर कर रख दिया है । मीडिया का एक तबका खुलेआम सत्ता के करीब बैठना चाह रहा है तो वही एक तबका दूर से ही सत्ता की मलाई चख लेना चाह रहा है और ऐसी परिस्थितियों में शिकार आम जनता का ही होना है । राजनीति केवल सत्ता केन्द्रित हो चली है जिसमे उद्योग ही सब कुछ है तो दूसरी तरफ पत्रकारिता जिसने अपना मूल उधेश्य छोड़ सब कुछ याद रखा है और तीसरे किनारे वो आम जनता है जो मुद्दों से दूर अपना वोट शराब, नान, कवाब, चंद रुपयों में तय कर देती है तो ऐसे में दाग तो हर किसी के दामन पर है लेकिन इस दाग को कैसे मिटाया जा सके इसकी बात कोई करने वाला होगा या नही ,दाग को गहराते देख क्या कोई ये सवाल नही करेगा कि इस दाग को क्या नाम दे या फिर बीतते वक़्त के साथ इस दाग को अपना मान कर ये कहने में कोई दिक्कत नही होगी कि दामन पर लगे दाग अच्छे है !

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